बच्चों को अवसाद से बचायें

आजकल बड़े ही नहीं बच्चे भी अवसाद का शिकार हो रह हैं। कई बार अवसाद कुछ समय के लिए रहता पर जब यह लगातार रहे तो बिमारी का रुप ले लेता है। आजकल अवसाद के कारण बच्चों और किशोरों में आत्महत्या के मामले बढ़ रहे हैं। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि वे कौन-सी बातें हैं जो बच्चों में अवसाद को बढ़ा रही हैं।

बच्चों में अवसाद बढ़ने का कारण 

आजकल प्रतिस्पर्धा और भागदौड़ के कारण छोटे बच्चे भी तनाव या चिंता से ग्रस्त हैं। स्कूल की पढ़ाई के बाद ट्यूशन जाना यानी पूरा दिन सिर्फ पढ़ाई में लगे रहने से तनाव शारीरिक तंत्र को कमजोर करता है। हर घंडी चिंता में रहने से शरीर में लगातार कोर्टिसोल हार्मोन बनता है जो उन्हें अवसाद की ओर ले जाता है। 

खेलकूद की कमी  

घर में रहने और टीवी देखने से बच्चे कुछ अलग और नया नहीं सीख पाते। इसी वजह से जब भी उनके सामने छोटी सी भी समस्या आती है तो वह उसको सुलझान नहीं पाते और चिंता करने लगते हैं। बाल मनोविज्ञानी कहते हैं कि खेल-कूद से बच्चे अपनी हर समस्या को दूर कर पाते हैं। 

पारिवारिक तनाव

माता-पिता को हमेशा लड़ते-झगड़ते देखने से भी बच्चे के दिमाग पर बुरा असर पड़ता है। अपने अभिभावकों को अलग होते और परिवार को टूटता हुए देखकर वह अवसाद के शिकार हो जाते हैं। 

शूगर का ज्यादा इस्तेमाल

बच्चों के खान-पान की वजह से भी वह अवसाद का शिकार हो रहे हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार शूगर की ज्यादा मात्रा का संबंध अवसाद और सिजोफ्रेनिया से है। यह दिमाग के विकास के हार्मोन को भी प्रभावित करती है। अवसाद और सिजोफ्रेनिया के मरीजों में इस हार्मोन का स्तर कम पाया जाता है।



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