अगर आतंकियों के हाथ लग जाते परमाणु हथियार तो........मसरूर एयरबेस पर आतंकी हमले की साजिश हुई नाकाम

करांची,। पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों ने एक बड़ी आतंकी साजिश को नाकाम कर देश को एक भयावह त्रासदी से बचा लिया है। कराची स्थित मसरूर एयरबेस—जहां परमाणु हथियारों के होने की आशंका जताई जाती है—को निशाना बनाने की आतंकी योजना को विफल कर दिया गया है। इस हमले की साजिश तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के आतंकियों द्वारा रची गई थी। इस घटना के बाद सवाल उठाए जा रहे हैं कि यदि आतंकी अपने मकसद में कामयाब हो जाते और उनके हाथ परमाणु हथियार लग जाते तब पाकिस्तान का हाल क्या होता? लोगों ने खुदा का शुक्र अदा किया है कि आतंकी अपनी योजना में सफल नहीं हो पाए, वर्ना कुछ भी हो सकता था। 

पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, खुफिया एजेंसियों ने इस सप्ताह कई छापेमारी अभियान चलाए, जिसमें नौ संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया गया। इनमें से पाँच की पहचान अफगान नागरिकों के तौर पर हुआ है, जो इस साजिश की अंतरराष्ट्रीय जड़ें उजागर करता है। बताया जा रहा है कि ये आतंकी कराची के बाहरी इलाकों में स्थित गुप्त अड्डों से ऑपरेशन को अंजाम देने की तैयारी में थे। मसरूर एयरबेस पाकिस्तान के उन संवेदनशील सैन्य ठिकानों में से एक माना जाता है, जहां वायुसेना के साथ-साथ रणनीतिक परमाणु हथियार भी संग्रहित हो सकते हैं। अगर आतंकियों का यह हमला सफल हो जाता, तो परमाणु हथियार उनके हाथ लग जाते, जो न सिर्फ पाकिस्तान के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक असाधारण संकट बन सकता था। 

एक महीने से चल रही थी रेकी

खुफिया सूत्रों के अनुसार, गिरफ्तार आतंकवादी पिछले एक महीने से एयरबेस के आस-पास रहकर इसकी सुरक्षा व्यवस्था का जायजा ले रहे थे। सभी आतंकी अफगानिस्तान से हाल ही में पाकिस्तान में दाखिल हुए थे। उनके पास से भारी मात्रा में हथियार, गोला-बारूद और विस्फोटक बरामद किए गए हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने समय रहते कार्रवाई करते हुए इनकी योजना को असफल कर दिया।

टीटीपी का आतंकी निकला मास्टरमाइंड

इस हमले की साजिश का मास्टरमाइंड वही आतंकवादी बताया जा रहा है, जिसने कुछ माह पूर्व करांची में एक चीनी नागरिक की हत्या की थी और फिर अफगानिस्तान भाग गया था। रिपोर्ट्स बताती हैं कि यह व्यक्ति तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान से जुड़ा हुआ है, जो पहले भी पाकिस्तान के महत्वपूर्ण सैन्य ठिकानों पर हमले कर चुका है—जैसे 2011 में नौसेना एयरबेस, 2014 में कराची डॉकयार्ड और हवाई अड्डा हमला।

पाले-पोसे आतंकी बन रहे मुसीबत 

इस घटना ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि जिस आतंकवाद को पाकिस्तान ने रणनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल किया, वह अब उसी के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुका है। यदि मसरूर एयरबेस पर हमला सफल होता, तो न केवल पाकिस्तान बल्कि पूरी दुनिया के सामने एक परमाणु आपदा की आशंका खड़ी हो सकती थी। हालांकि सुरक्षा एजेंसियों की तत्परता ने एक बड़े हादसे को टाल दिया, लेकिन यह घटना पाकिस्तान के परमाणु ठिकानों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े करती है।


Subscribe to our Newsletter