
ट्रंप के ट्रेड वॉर से भारत समेत कई देशों की उभरती अर्थव्यवस्थाएं दोतरफा दबाव में
Jun 06, 2025
नई दिल्ली,। अमेरिका का ग्लोबल ट्रेड वॉर फिर तेज़ हो गया है। इस बार यह उभरती अर्थव्यवस्थाओं के सेंट्रल बैंकों के लिए कोविड महामारी से भी बड़ी चुनौती बनता नजर आ रहा है। यह कहना है अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमए) की फर्स्ट डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर का। हाल ही में दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि जब 2020 में कोविड महामारी आई थी तब दुनिया के ज्यादातर सेंट्रल बैंक एक साथ काम कर रहे थे। ब्याज दरें घटाई गई थीं, राहत पैकेज लाए गए थे, लेकिन अब माहौल बदला हुआ है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका और चीन के बीच चल रहे ट्रेड वॉर से बने टैरिफ अलग-अलग देशों को अलग तरह से प्रभावित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस बार चुनौती पहले से भी ज्यादा बड़ी है। कोविड में सभी देश एक जैसी दिशा में आगे बढ़ रहे थे, लेकिन अब असमान असर हो रहा है। अब उभरती अर्थव्यवस्थाएं दोतरफा दबाव में हैं। एक तरफ उन्हें घरेलू मांग को सहारा देने के लिए ब्याज दरें कम करनी पड़ सकती हैं, वहीं दूसरी तरफ अमेरिका में ब्याज दरें ऊंची रहने से डॉलर मजबूत है, जिससे विदेशी निवेश बाहर जा सकता है।
ऐसे में भारत जैसे देश ब्याज दरें घटाते हैं तो उनकी करेंसी पर असर पड़ सकता है। आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक हो रही है, जिसमें रेपो रेट को 25 से 50 बेसिस प्वाइंट तक कम करने की उम्मीद जताई जा रही है। यह इस साल की तीसरी कटौती होगी। वहीं अमेरिका का फेडरल बैंक ट्रंप के दबाव में दरें घटाने के मूड में नहीं है। जब तक उसे भरोसा नहीं हो जाता कि टैरिफ से महंगाई नहीं बढ़ेगी, वह किसी रेट कट की संभावना नहीं देखता।
इससे ग्लोबल वित्तीय माहौल सख्त हो सकता है और विकासशील देशों की नीति सीमित हो सकती है। एक रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि अगर वैश्विक निवेशकों का भरोसा डगमगाया, तो उभरते बाजारों से पूंजी बाहर जा सकती है। इससे उन देशों की करेंसी पर दबाव और कर्ज़ लेने की लागत बढ़ सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक कई उभरती अर्थव्यवस्थाओं के सामने पूंजी निकासी, करेंसी में गिरावट और कर्ज महंगा होने का खतरा है। मैनेजिंग डायरेक्टर ने कहा कि फिलहाल उभरती अर्थव्यवस्थाएं धुंध में रास्ता तलाश रही हैं। अमेरिका-चीन के बीच थोड़े समय के लिए समझौता हुआ था, लेकिन बाद में ट्रंप ने चीन पर आरोप लगाए कि वह डील का उल्लंघन कर रहा है। इसके साथ ही उन्होंने स्टील और एल्युमिनियम पर डबल टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया, जिससे तनाव और बढ़ गया है।