बैगा आदिवासियों की जमीन और खनिज संपदा पर डाका

Jun 11, 2025

हजारों एकड़ आदिवासियों की जमीन पर पूंजीपतियों का कब्जा

भाजपा के पूर्व मंत्री और वर्तमान विधायक निशाने पर

भोपाल । मध्य प्रदेश के आदिवासियों की लाखों एकड़ जमीन पर पूंजीपति कब्जा कर रहे हैं। आदिवासियों की जमीन के नीचे जो खनिज पदार्थ हैं। उन पर भी पूंजी पतियों का कब्जा होता चला जा रहा है। आदिवासियों की जमीन को फर्जी एवं गैर कानूनी तरीके से खरीदकर हजारों करोड रुपए की जमीन का घोटाला किया गया है। मध्य प्रदेश में यह गोरख धंधा पिछले कई वर्षों से चल रहा है। 

आदिवासी जमीनों के क्रय विक्रय को लेकर सरकार ने कानून बना रखा है। नियम और कानून को धता बताते हुए लाखों एकड़ जमीन पिछले दो दशकों में आदिवासियों की छीन ली गई है। 

हाल ही में डिंडोरी, कटनी, उमरिया, धार, झाबुआ, रीवा सिंगरौली शहडोल छिंदवाड़ा सिवनी जबलपुर इत्यादि जिले में बड़े पैमाने पर आदिवासियों की जमीन खरीदी और बेची गई है। इसमें आदिवासियों के साथ बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी की गई है। आदिवासियों को मोहरा बनाकर जमीनों की जो लूट हो रही है। उसको देखकर सभी हतप्रभ हैं। 

डिंडोरी जिले की बजाग तहसील में बड़ी संख्या में बॉक्साइट खनिज उपलब्ध है। आदिवासियों की इस जमीन को आदिवासियों के नाम पर खरीद कर आदिवासियों के साथ धोखाधड़ी करने का एक बड़ा मामला उजागर हुआ है। प्राप्त जानकारी के अनुसार 1200 एकड़ से अधिक जमीन जिन आदिवासियों के नाम पर खरीदी गई है। वह झोपड़ी में रह रहे हैं। मनरेगा के मजदूर हैं। 5 किलो राशन पर वह जीवन यापन कर रहे हैं। इसके बाद भी उनके नाम पर सैकड़ो एकड़ जमीन राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज है। उनके पास पैसे जमीन खरीदने के लिए कहां से आए, जमीन बिकी तो वह पैसे कहां गए। इसका कोई हिसाब किताब कहीं नहीं है। इस मामले के उजागर होने के बाद मध्य प्रदेश और देशभर में आदिवासियों के साथ जो लूट की जा रही है। उसके बाद से यह मामला प्रादेशिक एवं राष्ट्रीय स्तर पर तूल पकड़ता चला जा रहा है। 

डिंडोरी जिले के पिपरिया मॉल में बॉक्साइट खदानों की नीलामी हुई थी। सर्वे में बॉक्साइट मिलने के बाद आदिवासियों की जमीन हड़पने का सुनियोजित धंधा यहां पर शुरू हो गया। मध्य प्रदेश में बैगा जनजाति दुनिया की सबसे प्राचीन और संरक्षित जनजातियों में से एक है। इन्हीं आदिवासियों की जमीन को हड़पने का काम पूंजीपतियों द्वारा किया गया है। 

जब इस मामले ने तूल पकड़ा,उसके बाद जिला प्रशासन सक्रिय हुआ। डिंडोरी के एसडीएम प्राप्त शिकायत की जांच कर रहे हैं। 

फर्जीबाडे में भाजपा विधायक का नाम

इस सारे गोरख धंधे में भाजपा के विधायक एवं पूर्व मंत्री संजय पाठक के नाम की शिकायत कई स्तर पर की गई है। अब इस मामले ने तूल पकड़ लिया है। इसकी शिकायत आदिवासी आयोग के साथ-साथ मुख्यमंत्री और पुलिस अधीक्षक को की गई है। इस सारी गड़बड़ी में धन शोधन का भी मामला बनता है। इसको लेकर भी शिकायत की गई है। चुकी है मामला भाजपा के विधायक से जुड़ा हुआ है। जिसके कारण सरकार ने भी चुप्पी साध रखी है। 

पिछले दो दशक में आदिवासियों की जमीन बड़े पैमाने पर पूंजीपति, उद्योगपति और राजनेताओं द्वारा खरीदी गई है। इसमें नियमों का उल्लंघन किया गया है। आदिवासियों की जमीन पर करोड़ों रुपए के निर्माण हो गए हैं। आदिवासियों की जमीन पर खनन हो रहा है। गरीब आदिवासियों को नियम कानून की जानकारी नहीं होती है। जिसके कारण वह आसानी से धोखाधड़ी का शिकार हो जाता है। जिला कलेक्टरों की भूमिका संदिग्ध इस मामले में जिला कलेक्टरों की भूमिका बड़ी संदिग्ध है। आदिवासियों की कोई भी जमीन बिना कलेक्टर की अनुमति के खरीदी या बेची नहीं जा सकती है। सूत्रों द्वारा कहा जा रहा है, बिना कलेक्टर की मिली भगत से आदिवासियों की जमीन को खुर्द बुर्द नहीं किया जा सकता है। सभी जिले के आदिवासियों की जमीन की खरीद बिक्री की जांच होनी चाहिए। इस मामले ने अभी तूल पकड़ा है। जैसा हमेशा से होता आया है। जांच के नाम पर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा। जलेबी को सीरा मिल जाएगा। जांच भी खत्म हो जाएगी। आदिवासियों का शोषण इसी तरह से होता रहेगा। 


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