
तुर्की में एर्दोगन की जीत, कुर्दिश समूह ने 40 साल बाद डाले हथियार
May 13, 2025
-ओकलान पर देशद्रोह और अलगाववाद के लगे हैं आरोप, जेल में हैं बंद
इस्तांबुल,। तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन को बड़ी कामयाबी मिली है। कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी ने तुर्की सरकार के खिलाफ 40 सालों की लड़ाई के बाद घोषणा की है कि समूह सरकार के सामने हथियार डाल रहा है और खुद को भंग कर रहा है। पीकेके ने कुर्दों के लिए अलग स्वायत्त क्षेत्र की मांग को लेकर सरकार के खिलाफ विद्रोह कर रखा था जिस पर अब विराम लग सकता है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पीकेके के हथियार डालने की जानकारी सोमवार को दी गई। पीकेके ने खुद को भंग करने का फैसला अपने नेता अब्दुल्ला ओकलान के आह्वान पर किया है। ओकलान पर देशद्रोह और अलगाववाद फैलाने के आरोप लगे हैं और वह जेल में बंद हैं। फरवरी में उन्होंने पीकेके से हथियार डालने और समूह को भंग करने का आह्वान किया था।
तुर्की की कुल आबादी में कुर्द आबादी 20 फीसदी है और पीकेके के विद्रोह का मकसद शुरू में कुर्दों के लिए एक स्वतंत्र देश की मांग करना था, लेकिन बाद में समूह अलगाववादी लक्ष्यों से दूर होता गया और इसके बजाए कुर्दों के लिए एक स्वायत्तता क्षेत्र की मांग करने लगा। तुर्की सरकार और पीकेके की लड़ाई में अब तक 40 हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं जिसमें अधिकतर पीकेके लड़ाके हैं। पीकेके को तुर्की सहित यूरोपीय संघ, ब्रिटेन और अमेरिका ने आतंकवादी समूह के रूप में बैन कर रखा है। हथियार डालने की घोषणा के साथ ही पीकेके ने कहा कि समूह ने अपना ऐतिहासिक मिशन पूरा कर लिया है और वह सशस्त्र संघर्ष की पद्धति को खत्म कर रहा है। अब से कुर्द मुद्दे को लोकतांत्रिक राजनीति के जरिए हल किया जा सकता है।
इस साल फरवरी में 76 साल के कुर्द नेता ओकलान ने पीकेके समूह से हथियार डालने और खुद को भंग करने का आह्वान किया था। पीकेके नेता 1999 से इस्तांबुल के दक्षिण-पश्चिम में मरमारा सागर के एक द्वीप पर जेल में एकांत कारावास में हैं। ओकलान ने फरवरी में जेल से एक पत्र लिखा था जिसमें कहा गया था कि राजनीतिक व्यवस्था को हासिल करने और उसे लागू करने में लोकतंत्र के अलावा कोई विकल्प नहीं है। लोकतांत्रिक सर्वसम्मति ही मूल रास्ता है. यह साफ नहीं है कि ओकालान और उनके समर्थकों को समूह भंग करने के बदले में क्या मिलेगा, लेकिन ऐसी अटकलें हैं कि उन्हें पैरोल पर रिहा किया जा सकता है।
हाल के सालों में पीकेके को तुर्की सेना ने भारी नुकसान पहुंचाया। कुर्दों के लिए अब इराक और सीरिया में काम करना भी मुश्किल हो गया है। अगर तुर्की राष्ट्रपति एर्दोगन को 2028 में होने वाले तुर्की के अगले राष्ट्रपति चुनाव में फिर से भाग लेना है तो उन्हें कुर्द समर्थक राजनीतिक दलों के समर्थन की जरूरत होगी। राष्ट्रपति एर्दोगन की पार्टी के प्रवक्ता ने कहा कि पीकेके को भंग करने का फैसला आतंकवाद मुक्त तुर्की की दिशा में एक अहम कदम है और इस प्रक्रिया की निगरानी देश की संस्थाएं करेंगी।
पीकेके एक उग्रवादी समूह है जिसकी स्थापना 1978 में अब्दुल्ला ओकलान ने दक्षिण-पूर्वी तुर्की में की थी। समूह की विचारधारा मार्क्सवादी-लेनिनवादी विचारों पर आधारित है। पीकेके ने 1984 में तुर्की के खिलाफ अपना विद्रोह शुरू किया था जिसका उद्देश्य एक स्वतंत्र कुर्दिस्तान बनाना था, लेकिन बाद में चलकर समूह ने अपने अलग देश की मांग को छोड़ दिया और दक्षिण-पूर्व तुर्की में कुर्दों के लिए स्वायत्त क्षेत्र की मांग शुरू की। पीकेके ने 1998 तक सीरिया से ऑपरेट किया था लेकिन तुर्की के बढ़ते दबाव के बीच समूह के नेता ओकलान को सीरिया से भागना पड़ा। इसके कुछ ही महीने बाद तुर्की के स्पेशल फोर्सेज ने ओकलान को केन्या से गिरफ्तार कर लिया था। 1999 में तुर्की की एक अदालत ने ओलकान को मौत की सजा सुनाई थी, लेकिन अक्टूबर 2002 में ओकलान के मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया। अक्टूबर 2024 में राष्ट्रपति एर्दोगन के राजनीतिक सहयोगी ने कहा था कि अगर पीकेके अपना आंदोलन खत्म कर खुद को भंग कर लेता है तो ओकलान को आजाद कर दिया जाएगा, उनके इस बयान के कुछ महीनों बाद ही पीकेके ने खुद को भंग करने की घोषणा कर दी है।